माड़ प्रदेश (जैसलमेर-बाड़मेर का भू-भाग) निवासी साउवा शाखा के मामड़ जी (मामड़िया जी) चारण द्वारा संतान प्राप्ति हेतु की गई सात पैदल यात्राओं से प्रसन्न माँ हिंगलाज ने प्रकट होकर वर माँगने को कहा। मामड़ जी द्वारा माँ हिंगलाज जैसी संतान प्राप्ति की माँग करने पर माता जी ने सात पुत्रियों के रूप में स्वयं पधारने एंव एक पुत्र होने का वचन दिया। यह नवीं सदी की बात है।
वचनानुसार मामड़ जी की धर्मपत्नी मोहवृत्ती मेहडू चारणी की कुक्षि से उब्बटदे (आवड़ जी) का जन्म हुआ, तदुपरान्त लगातार छः पुत्रियाँ तथा एक पुत्र महिरख पैदा हुऐ। ये सातों बहनेे आजीवन ब्रह्मचारिणी रहकर शक्ति अवतार के रूप में पूजनिया हुई। राजस्थान के क्षत्रियों में आवड़जी आदि अनेक चारण लोकदेवियां कुलदेवी के रूप में पूजनीय हैं-
अवाड़ तूठी भाटियां, कामेंही गोड़ांह।
श्री विरवड़ सीसोदियां, करनी राठौड़ांह।।
महाशक्ति आवड़जी द्वारा अपने समय के कुख्यात बावन हूण राक्षसों को मारकर आमजन को आसुरों के आतंक से मुक्ति दिलाई, इसीलिए इनके 52 पवाड़े, 52 मंदिर, 52 उरन एंव 52 नाम (श्री आई माँ, उब्बटदे, आयल, माड़ैच्यां, गिरवरराय, सउआणियां, अहियाणियां, पनोधरराय, चाळराय, जाळराय, बिंझासणी, झूमरकेराय, मामड़ियासधू, आशापुरा, श्री आवड़, बाइयां, आईनाथ, मानसरिया, नागणेची, कतियाणी, भोजासरी, उपरल्यां, धणियाणियां, मामड़याई, माढ़राय, पिनोतणिया, मातियांळी, डूंगरेच्यां, सहांग्याजी, घंटीलाळी, पारेवरीयां, तनोटीयां, तनोटराय, भादरीयाराय, काले डूंगरराय, देगराय, साबड़ामढराय, चेलकराय, माड़ेची, चकरेसी, अनड़ेची, आरंबाराय, सप्तमातृका, डूंगरराय, छछुन्दरे, तेमड़ाराय, मनरंगथळ राय, चालकनाराय, चाळकनेची, जूनी जाळरी धणियाणी, बींझणोटी तथा थळ राय) प्रसिद्ध हैं।
ऐसी मान्यता है कि सुदीर्घ जीवनोपरांत आमजन के समक्ष सातों बहनें तेमड़ा पर्वत की तारंगशिला पर बैठकर माँ हिंगलाज का ध्यान लगााकर पश्चिम की ओर अदृश्य हो गई। चारण कुल में नवलाख लोवड़ियाळ अवतार की मान्यता में श्री आवड़ माता को हिंगळाज का पूर्ण त़था अन्य देवियों को अंशावतार माना जाता हैं।
ओम बिहारी यूं अखै, सगत देय सदबुद्ध।
आवड़ रा जो उच्चरै, बावन नाम विशुध्द।।
डॉ. गुलाबसिंह जी द्वारा जयपुर से तनोट दण्डवत यात्रा 23.09.2019 से 12.09.2021 तक।
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